प्रेरणादायक कहानिया अब्राहम लिंकन – Abraham Lincoln
अब्राहम लिंकन – Abraham Lincoln
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन अनगिनत असफलताओं का सामना किया।1832 में उन्होंने अपनी नौकरी गंवाई और विधान सभा का चुनाव हारे। अगले ही साल वे अपने बिजनेस में फ़ैल हुए। 1834 में फिर से चुनाव लड़ने पर विधान सभा का चुनाव जीत गए लेकिन 1835 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। 1836 में उन्होंने मानसिक हताशा की बीमारी का सामना किया। 1843 में कांग्रेस के नामिनेशन के लिए नहीं चुने गए| 1849 में उनका भूमि अधिकरण ख़ारिज कर दिया गया| 1854 में लिंकन सीनेट का चुनाव हार गये| 1856 में वे उपराष्ट्रपति के लिए नहीं चुने गए| 1858 में वे फिर से उपराष्ट्रपति का चुनाव हार गए|लेकिन फिर भी 1860 में वे अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए| दुनिया में न के बराबर ऐसे नेता होंगे, जो इतने चुनाव हारने के बावजूद राष्ट्रपति के रूप सर्वोच्च पद के लिए चुने गए| अब्राहम लिंकन ने यह साबित किया है कि आप तब तक नहीं हारते जब तक आप अपने मन से न हार जाये।मन के हारे हार हे मन के जीते जीत।
अब्राहम लिंकन का जन्म १२ फरवरी, १८०९ को हुआ।१५ अप्रैल १८६५ को इनका निधन हुआ।
अब्राहम लिंकन गरीबो के हितेषी थे ये बात इन किस्सों से उजागर होती हे।
एक बार उनके एक मुवक्किल ने उन्हें पच्चीस डॉलर भेजे तो लिंकन ने उसमें से दस डॉलर यह कहकर लौटा दिए कि पंद्रह डॉलर पर्याप्त थे। ।
एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के 400 डॉलर दिलाने के लिए एक पेंशन एजेंट 200 डॉलर फीस में मांग रहा था। लिंकन ने उस महिला के लिए न केवल मुफ्त में वकालत की बल्कि उसके होटल में रहने का खर्चा और घर वापसी की टिकट का इंतजाम भी किया।
लिंकन और उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार किसी मानसिक रोगी महिला की जमीन पर कब्जा करने वाले एक धूर्त आदमी को अदालत से सजा दिलवाई. मामला अदालत में केवल पंद्रह मिनट ही चला। सहयोगी वकील ने कहा कि उस महिला के भाई ने पूरी फीस चुका दी थी और सभी अदालत के निर्णय से प्रसन्न थे परन्तु लिंकन ने कहा – “लेकिन मैं खुश नहीं हूँ! वह पैसा एक बेचारी रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूँगा ।तुम मेरी फीस की रकम उसे वापस कर दो”।
उनके पास कभी भी कुछ बहुतायत में नहीं रहा। लेकिन वह हम सबमें सबसे अच्छे मनुष्य थे, क्या कोई इस बात से इनकार कर सकता है?
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन अनगिनत असफलताओं का सामना किया।1832 में उन्होंने अपनी नौकरी गंवाई और विधान सभा का चुनाव हारे। अगले ही साल वे अपने बिजनेस में फ़ैल हुए। 1834 में फिर से चुनाव लड़ने पर विधान सभा का चुनाव जीत गए लेकिन 1835 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। 1836 में उन्होंने मानसिक हताशा की बीमारी का सामना किया। 1843 में कांग्रेस के नामिनेशन के लिए नहीं चुने गए| 1849 में उनका भूमि अधिकरण ख़ारिज कर दिया गया| 1854 में लिंकन सीनेट का चुनाव हार गये| 1856 में वे उपराष्ट्रपति के लिए नहीं चुने गए| 1858 में वे फिर से उपराष्ट्रपति का चुनाव हार गए|लेकिन फिर भी 1860 में वे अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए| दुनिया में न के बराबर ऐसे नेता होंगे, जो इतने चुनाव हारने के बावजूद राष्ट्रपति के रूप सर्वोच्च पद के लिए चुने गए| अब्राहम लिंकन ने यह साबित किया है कि आप तब तक नहीं हारते जब तक आप अपने मन से न हार जाये।मन के हारे हार हे मन के जीते जीत।
अब्राहम लिंकन का जन्म १२ फरवरी, १८०९ को हुआ।१५ अप्रैल १८६५ को इनका निधन हुआ।
अब्राहम लिंकन गरीबो के हितेषी थे ये बात इन किस्सों से उजागर होती हे।
एक बार उनके एक मुवक्किल ने उन्हें पच्चीस डॉलर भेजे तो लिंकन ने उसमें से दस डॉलर यह कहकर लौटा दिए कि पंद्रह डॉलर पर्याप्त थे। ।
एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के 400 डॉलर दिलाने के लिए एक पेंशन एजेंट 200 डॉलर फीस में मांग रहा था। लिंकन ने उस महिला के लिए न केवल मुफ्त में वकालत की बल्कि उसके होटल में रहने का खर्चा और घर वापसी की टिकट का इंतजाम भी किया।
लिंकन और उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार किसी मानसिक रोगी महिला की जमीन पर कब्जा करने वाले एक धूर्त आदमी को अदालत से सजा दिलवाई. मामला अदालत में केवल पंद्रह मिनट ही चला। सहयोगी वकील ने कहा कि उस महिला के भाई ने पूरी फीस चुका दी थी और सभी अदालत के निर्णय से प्रसन्न थे परन्तु लिंकन ने कहा – “लेकिन मैं खुश नहीं हूँ! वह पैसा एक बेचारी रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूँगा ।तुम मेरी फीस की रकम उसे वापस कर दो”।
उनके पास कभी भी कुछ बहुतायत में नहीं रहा। लेकिन वह हम सबमें सबसे अच्छे मनुष्य थे, क्या कोई इस बात से इनकार कर सकता है?
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