क्रिकेट वर्ल्ड कप से जुड़े रोचक तथ्य
क्रिकेट वर्ल्ड कप से जुड़े रोचक तथ्य
1975 में वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी, और इस वर्ल्ड कप में आठ टीमों के बीच 15 मैच हुए थे।
वर्ल्ड कप में बॉल का रंग लाल होता था, जबकि 1992 के वर्ल्ड कप में बॉल का रंग सफेद कर दिया गया था।
वेस्ट इंडीज और आस्ट्रेलिया ने 1996 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका के साथ खेलने से मना कर दिया था, जिसके कारण श्रीलंका को उन दो मैचों में बिना खेले विजेता बना दिया था।
भारत 1987 और 1999 के वर्ल्ड कप का एक मैच ऑस्ट्रेलिया से केवल 1 रन से हार गया था।
सचिन तेंदुलकर ने वर्ल्ड कप में सबसे अधिक 8 बार मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता है।
लसिथ मलिंगा ने 2007 के वर्ल्ड कप में एक ही ओवर की चार गेंदो पर लगातार विकेट लिये थे।
1983 के वर्ल्ड कप का फाइनल मैच जीतकर भारत ने वेस्ट इंडीज का लगातार वर्ल्ड कप जीतने का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
1987 का वर्ल्ड कप पहले इंग्लैड में होने वाला था, परन्तु बाद में यह भारत में हुआ।
वर्ल्ड कप में रिकी पोटिंग ने सबसे अधिक 46 मैच खेले है।
ऑस्ट्रेलिया ने सबसे अधिक वर्ल्ड कप अपने नाम किये है।
वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर सर्वाधिक 2,278 रन बनाये हैं।
युवराज सिंह 2011 के वर्ल्ड कप में लगातार चार मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ बने थे।
2009 में श्रीलंका की टीम पर हुए हमले के कारण ICC ने पाकिस्तान से 2011के वर्ल्ड कप की मेजबानी छीन ली थी।
विभिन्न विषयो जैसे ताजमहल,कुत्तो,बिल्ली,मानव शरीर,दिमाग आदि पर रोचक तथ्य जानने के लिए क्लिक करे....
http://educhrome4u.blogspot.in/search/label/AMAGING%20FACTS%20रोचक%20तथ्य?m=1
1996 के एक मैच वेस्ट इंडीज केन्या से बुरी तरह हार गयी थी। केन्या की इस जीत ने पुरे क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया था, क्योंकि इस जीत से पहले केन्या की पूरी दुनिया में कोई पहचान नहीं थी।
1996 के वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ब्रायन लारा से केन्या के एक क्रिकेटर ने ऑटोग्राफ माँगा, तो उन्होंने उसे ऑटोग्राफ देने से मना कर दिया था।
1996 के वर्ल्ड कप में आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज की टीमों ने श्रीलंका में खेलने से मना कर दिया था जिससे श्रीलंका को दो मैचों में बिना खेले ही विजेता घोषित कर दिया गया।
2011 के वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने लगातार चार मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब जीता था।
2007 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका के लसिथ मलिंगा लगातार चार गेंदो पर विकेट लेने वाले अकेले खिलाड़ी बने।
मोहिन्दर अमरनाथ ने 1983, अरविंदा डी सिल्वा ने 1996 और शेन वार्न ने 1999 के वर्ल्ड कप में सेमी फाइनल और फाइनल मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब जीता था।
1992 में खिलाड़ियों के कपड़ो को उनके नाम सहित रंगीन बनाया गया।
2003 के वर्ल्ड कप में 14 टीमों ने 43 दिनों तक 54 मैच खेले थे।
वर्ल्ड कप पहला मैच 1996 में तब अधूरा छूटा था, जब भारत और श्रीलंका के बीच कोलकाता में हुए मैच में भारत को हारते हुए देखकर दर्शको ने मैदान पर बोतलें फेंकना शुरू कर दिया था।
1987 में ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गई थी। इस वर्ल्ड कप की भारत और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रुप से मेजबानी की गई थी और दोनों ही देशों में दिन में होने वाली रोशनी के कम समय के चलते यह निर्णय लिया गया था।
तीसरे अंपायर द्वारा निर्णय देने की शुरुआत 1992 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुई श्रंखला के साथ हुई।
सचिन तेंदुलकर ऐसे पहले खिलाड़ी थे जिन्हें तीसरे अंपायर के निर्णय से रन आउट करार दिया गया था।
1992 के वर्ल्ड कप में फील्डिंग के नियमों में बदलाव किए गए। इसमें पहले 15 ओवर तक केवल 2 खिलाड़ियों को रिंग के बाहर रहने की अनुमति दी गई। पहले कम से कम 4 खिलाड़ियों के रिंग में रहने का नियम था।
1975 में वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी, और इस वर्ल्ड कप में आठ टीमों के बीच 15 मैच हुए थे।
वर्ल्ड कप में बॉल का रंग लाल होता था, जबकि 1992 के वर्ल्ड कप में बॉल का रंग सफेद कर दिया गया था।
वेस्ट इंडीज और आस्ट्रेलिया ने 1996 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका के साथ खेलने से मना कर दिया था, जिसके कारण श्रीलंका को उन दो मैचों में बिना खेले विजेता बना दिया था।
भारत 1987 और 1999 के वर्ल्ड कप का एक मैच ऑस्ट्रेलिया से केवल 1 रन से हार गया था।
सचिन तेंदुलकर ने वर्ल्ड कप में सबसे अधिक 8 बार मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता है।
लसिथ मलिंगा ने 2007 के वर्ल्ड कप में एक ही ओवर की चार गेंदो पर लगातार विकेट लिये थे।
1983 के वर्ल्ड कप का फाइनल मैच जीतकर भारत ने वेस्ट इंडीज का लगातार वर्ल्ड कप जीतने का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
1987 का वर्ल्ड कप पहले इंग्लैड में होने वाला था, परन्तु बाद में यह भारत में हुआ।
वर्ल्ड कप में रिकी पोटिंग ने सबसे अधिक 46 मैच खेले है।
ऑस्ट्रेलिया ने सबसे अधिक वर्ल्ड कप अपने नाम किये है।
वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर सर्वाधिक 2,278 रन बनाये हैं।
युवराज सिंह 2011 के वर्ल्ड कप में लगातार चार मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ बने थे।
2009 में श्रीलंका की टीम पर हुए हमले के कारण ICC ने पाकिस्तान से 2011के वर्ल्ड कप की मेजबानी छीन ली थी।
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1996 के एक मैच वेस्ट इंडीज केन्या से बुरी तरह हार गयी थी। केन्या की इस जीत ने पुरे क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया था, क्योंकि इस जीत से पहले केन्या की पूरी दुनिया में कोई पहचान नहीं थी।
1996 के वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ब्रायन लारा से केन्या के एक क्रिकेटर ने ऑटोग्राफ माँगा, तो उन्होंने उसे ऑटोग्राफ देने से मना कर दिया था।
1996 के वर्ल्ड कप में आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज की टीमों ने श्रीलंका में खेलने से मना कर दिया था जिससे श्रीलंका को दो मैचों में बिना खेले ही विजेता घोषित कर दिया गया।
2011 के वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने लगातार चार मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब जीता था।
2007 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका के लसिथ मलिंगा लगातार चार गेंदो पर विकेट लेने वाले अकेले खिलाड़ी बने।
मोहिन्दर अमरनाथ ने 1983, अरविंदा डी सिल्वा ने 1996 और शेन वार्न ने 1999 के वर्ल्ड कप में सेमी फाइनल और फाइनल मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब जीता था।
1992 में खिलाड़ियों के कपड़ो को उनके नाम सहित रंगीन बनाया गया।
2003 के वर्ल्ड कप में 14 टीमों ने 43 दिनों तक 54 मैच खेले थे।
वर्ल्ड कप पहला मैच 1996 में तब अधूरा छूटा था, जब भारत और श्रीलंका के बीच कोलकाता में हुए मैच में भारत को हारते हुए देखकर दर्शको ने मैदान पर बोतलें फेंकना शुरू कर दिया था।
1987 में ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गई थी। इस वर्ल्ड कप की भारत और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रुप से मेजबानी की गई थी और दोनों ही देशों में दिन में होने वाली रोशनी के कम समय के चलते यह निर्णय लिया गया था।
तीसरे अंपायर द्वारा निर्णय देने की शुरुआत 1992 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुई श्रंखला के साथ हुई।
सचिन तेंदुलकर ऐसे पहले खिलाड़ी थे जिन्हें तीसरे अंपायर के निर्णय से रन आउट करार दिया गया था।
1992 के वर्ल्ड कप में फील्डिंग के नियमों में बदलाव किए गए। इसमें पहले 15 ओवर तक केवल 2 खिलाड़ियों को रिंग के बाहर रहने की अनुमति दी गई। पहले कम से कम 4 खिलाड़ियों के रिंग में रहने का नियम था।
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