भारतीय रूपये से जुड़े कुछ फैक्ट्स
भारतीय रूपये से जुड़े कुछ फैक्ट्स
रुपया का प्रतीक देवनगरी और रोमन के एकीकरण से बना है।
हिंदी में प्रतीक चिह्न लेखन के दौरान आने वाली आड़ी रेखा को शिरो रेखा (Shiro Rekha ) कहा जाता है। देवनागरी लिपि की एक अनूठी विशेषता से तैयार रुपयें का प्रतीक चिह्न भारतीय लिपि की इस सुविधा बरकरार रख लोगो को हिंदी की विशेषता के प्रति जागरूक रखता है।
रुपया प्रतीक के शीर्ष पर आने वाली दो आड़ी रेखाओं के बीच सफेद रंग है उपर केसरी और नीचे हरा रंग है जो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दो आड़ी लाइनें अंकगणित साइन 'बराबर' का प्रतिनिधित्व करती है जो एक संतुलित अर्थव्यवस्था का भी प्रतीक है और इसे एक तरह के समानता के हस्ताक्षर भी कहा जायें तो यह गलत ना होगा।
रुपया डिजाइन करते समय उदय कुमार के मन में अन्य वर्तमान करेंसी के प्रतीक थे वह उन प्रतीकों से भिन्न ऐसे प्रतीक बनना चाहते थे जो परिवार के एक हिस्से की तरह लगे और वर्तमान में अन्य मुद्राओं प्रतीकों से अपना सामंजस्य भी बैठा सके।
1917 में डॉलर से रुपया अधिक शक्तिशाली था। 1917 में 1 रुपया = 13 डालर था।
भारतीय नोटों पर हिंदी और अंग्रेजी के 15 अन्य भाषाओं को रिवर्स साइड पर जगह दी गयी है।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि आप 51% से अधिक फटे नोट बैंक को देते है तो बैंक आपको एक नया नोट प्रदान करता है।
विभिन्न विषयो जैसे ताजमहल,कुत्तो,बिल्ली,मानव शरीर,दिमाग आदि पर रोचक तथ्य जानने के लिए क्लिक करे....
http://educhrome4u.blogspot.in/search/label/AMAGING%20FACTS%20रोचक%20तथ्य?m=1
भारतीय सभी नोटों के पीछे कुछ ना कुछ जरुर छपा होता है उदाहरण के तौर पर 20 के नोट के पीछे अंडमान द्वीप समूह का चित्र अंकित है।
बांग्लादेश के लिए कुछ तस्कर 5 रुपयें सिक्के की तस्करी करते थे। बांग्लादेश में तस्करी किये गये भारतीय 5 रुपयें सिक्के का प्रयोग उस्तरा बनाने के लिया किया जाता था।
क्या आप जानतें है कि 10 रुपयें वाले सिक्का की ढलाई में 6.10 रुपयें की लागत आती है।
अतीत में कमी की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक को विदेशी देशों के टकसाल में सिक्के की ढलाई के लिए मजबूर किया गया था।
10 अक्टूबर 1978 तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में जन्म लेने वाले उदय कुमार धर्मलिंगम् ने रुपया चिन्ह (₹ ) का डिजाइन किया था ।
1954 और 1978 के बीच भारत में 5,000 और 10,000 रुपए के नोट दिग्गज नागरिकों के बीच काफी प्रचलन में थे।
एक रूपये के नोट को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है और इस पर फाइनेंस सेक्रेटरी के हस्ताक्षर होते है।
20वीं शताब्दी में रुपया श्रीलंका, नेपाल, अदन, ओमान, कुवैत, बहरीन, कतर, स्टेट्स, केन्या, युगांडा, सेशल्स और मॉरीशस जैसे कई और देशों की मुद्रा का नाम रुपया था।
5th पिलर एनजीओ ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए शून्य रुपयें वाले नोट जारी कर चूका है।
9नवम्बर 2016 से भारत के 500 व 1000₹ के पुराने नोट अमान्य कर दिए हे इन्हे नए नोटों से बदल जा रहा हे।
रुपया का प्रतीक देवनगरी और रोमन के एकीकरण से बना है।
हिंदी में प्रतीक चिह्न लेखन के दौरान आने वाली आड़ी रेखा को शिरो रेखा (Shiro Rekha ) कहा जाता है। देवनागरी लिपि की एक अनूठी विशेषता से तैयार रुपयें का प्रतीक चिह्न भारतीय लिपि की इस सुविधा बरकरार रख लोगो को हिंदी की विशेषता के प्रति जागरूक रखता है।
रुपया प्रतीक के शीर्ष पर आने वाली दो आड़ी रेखाओं के बीच सफेद रंग है उपर केसरी और नीचे हरा रंग है जो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दो आड़ी लाइनें अंकगणित साइन 'बराबर' का प्रतिनिधित्व करती है जो एक संतुलित अर्थव्यवस्था का भी प्रतीक है और इसे एक तरह के समानता के हस्ताक्षर भी कहा जायें तो यह गलत ना होगा।
रुपया डिजाइन करते समय उदय कुमार के मन में अन्य वर्तमान करेंसी के प्रतीक थे वह उन प्रतीकों से भिन्न ऐसे प्रतीक बनना चाहते थे जो परिवार के एक हिस्से की तरह लगे और वर्तमान में अन्य मुद्राओं प्रतीकों से अपना सामंजस्य भी बैठा सके।
1917 में डॉलर से रुपया अधिक शक्तिशाली था। 1917 में 1 रुपया = 13 डालर था।
भारतीय नोटों पर हिंदी और अंग्रेजी के 15 अन्य भाषाओं को रिवर्स साइड पर जगह दी गयी है।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि आप 51% से अधिक फटे नोट बैंक को देते है तो बैंक आपको एक नया नोट प्रदान करता है।
विभिन्न विषयो जैसे ताजमहल,कुत्तो,बिल्ली,मानव शरीर,दिमाग आदि पर रोचक तथ्य जानने के लिए क्लिक करे....
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भारतीय सभी नोटों के पीछे कुछ ना कुछ जरुर छपा होता है उदाहरण के तौर पर 20 के नोट के पीछे अंडमान द्वीप समूह का चित्र अंकित है।
बांग्लादेश के लिए कुछ तस्कर 5 रुपयें सिक्के की तस्करी करते थे। बांग्लादेश में तस्करी किये गये भारतीय 5 रुपयें सिक्के का प्रयोग उस्तरा बनाने के लिया किया जाता था।
क्या आप जानतें है कि 10 रुपयें वाले सिक्का की ढलाई में 6.10 रुपयें की लागत आती है।
अतीत में कमी की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक को विदेशी देशों के टकसाल में सिक्के की ढलाई के लिए मजबूर किया गया था।
10 अक्टूबर 1978 तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में जन्म लेने वाले उदय कुमार धर्मलिंगम् ने रुपया चिन्ह (₹ ) का डिजाइन किया था ।
1954 और 1978 के बीच भारत में 5,000 और 10,000 रुपए के नोट दिग्गज नागरिकों के बीच काफी प्रचलन में थे।
एक रूपये के नोट को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है और इस पर फाइनेंस सेक्रेटरी के हस्ताक्षर होते है।
20वीं शताब्दी में रुपया श्रीलंका, नेपाल, अदन, ओमान, कुवैत, बहरीन, कतर, स्टेट्स, केन्या, युगांडा, सेशल्स और मॉरीशस जैसे कई और देशों की मुद्रा का नाम रुपया था।
5th पिलर एनजीओ ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए शून्य रुपयें वाले नोट जारी कर चूका है।
9नवम्बर 2016 से भारत के 500 व 1000₹ के पुराने नोट अमान्य कर दिए हे इन्हे नए नोटों से बदल जा रहा हे।
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